सम्पूर्ण भारत में 193 ऐसी राष्ट्रभक्त जातियां रही हैं जिनमे मल्लाह ,केवट ,निषाद ,बिन्द ,धीवर ,डलेराकहार , रायसिख ,महातम ,बंजारा , बाजीगर ,सिकलीगर , नालबंध , सांसी, भेदकूट , छड़ा , भांतु , भाट , नट ,पाल ,गडरिया, बघेल ,लोहार , डोम ,बावरिया ,राबरी ,गंडीला , गाडियालोहार, जंगमजोगी ,नाथ,बंगाली,अहेरिया,बहेलिया नायक,सपेला,सपेरा, पारिधि ,सिंघिकाट ,कुचबन्ध, गिहार अथवा कंजड आदि जो विमुक्त या घूमंतू जातियां कहलाती हैं और Criminal Law Amendment Act 1871 के अनुसार अपराधी जातियां घोषित की गयी थीं । 1871 से लेकर 31 अगस्त 1952 तक ये जातियां अंग्रेजों के बनाये इसी काले कानून का शिकार रहीं और जरायम पेशा का नाम लिए बदनामी की जिन्दगी जीती रहीं । इन जातियों को दूसरे गावों या शहरों में बसने की इजाजत नहीं थी , अपनी मर्जी का धंधा करने की अनुमति नहीं थी और तो और न्यायालय में भी इन जातियों की सुनवाई नहीं थी । आजाद भारत भी यह जातियां 5 वर्ष 16 दिन भारत वासियों की गुलाम बनी रहीं और 31 अगस्त 1952 को एक सरकारी आदेश के तहत आजाद हुयीं । उस दिन से इन जातियों को विमुक्त जातियों की संज्ञा दी गयी । 81 वर्ष की सरकारी गुलामी और सैकड़ों वर्षों की सामाजिक गुलामी के चलते ये जातियां शैक्षणिक , सामाजिक , आर्थिक, राजनैतिक और धार्मिक रूप से पिछड़ गयीं और आज भी दुनिया की तरक्की से दूर यह जातियां दूसरी जातियों से 64 साल पीछे हैं । इन जातियों की आबादी 15 करोड़ से भी अधिक है लेकिन इन जातियों का देश की विधायिका , न्यायपालिका और कार्यपालिका में कोई समुचित प्रतिनिधित्व नहीं है , थोडा बहुत जो है भी , तो वो न के बराबर है । आज भी इन जातियों के लोग अशिक्षित ,बेरोजगार, बेकार, बेजार ,बेघर और बेइज्जत हैं और खानाबदोश जिन्दगी जीने को अभिशप्त हैं । इस समाज की तरक्की और खुश हाली के लिए केंद्र सरकार ने 2006 में एक कमीशन बनाया जो रेणके आयोग के नाम से जाना जाता है । इसे राष्ट्रीय विमुक्त/ घूमंतू /अर्ध घूमंतू जनजाति आयोग भी कहा जाता है जिसके अध्यक्ष /चैयरमैन श्री बाल कृष्ण रेणके हैं । इस कमीशन ने केंद्र सरकार को 2008 में अपनी सिफारिशें सौंपी । अत्यंत खेदजनक है कि 5 वर्ष बीतने के बाद भी इस केंद्र की कांग्रेस सरकार रेणके कमीशन की सिफारिशें लागू नहीं कर पाई ।
वास्तव में इस कमीशन की आड़ में केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा भेजे गए 2005 में 17 जातियों को अनुसूचित जातियों में शामिल करने के प्रस्ताव को ठन्डे वस्ते में डालने का कार्य किया। और ये सन्देश देने का कुप्रयास किया कि सिर्फ 17 नहीं बल्कि 193 जातियों का व्यापक हित सोचा जा रहा है , चूंकि ये जातियां बहुत कम संख्यां में हैं, नेतृत्व शून्यप्राय हैं और बिखरी हुयी हैं अतः इन्हें राजनैतिक रूप से एकत्र कर पाना असंभव कार्य है । इस प्रकार प्रस्तावों और आयोगों के ढेर पर बैठ कर राजनीति करने वाली कांग्रेस ने इन जातियां का बहुत बड़ा अहित किया है ।
अब फिर 17 जातियों का उत्तर प्रदेश सरकार का प्रस्ताव केंद्र सरकार पर पहुँच गया है । बहुत संभव है कि इसे पुनः दबाने के लिए मक्कारी और अय्यारी की खाल ओढे केंद्र में बैठी कांग्रेस फिर से रेणके आयोग का शगूफा छोड़ दे ।
उक्त पोस्ट में आपने लोध एवं गूजर नाम छोड़ दिए हैं , ब्रिटिश हुकुमत ने इन्हें १८७१ में ही संयुक्त प्रान्त में क्रिमिनल एक्ट के तहत जन्मजात अपराधी के रूप में अधिसूचित कर दिया था. बाद में बंगाल प्रेसिडेंसी में भी इन्हें क्रिमिनल ट्राइब घोषित किया था. इन जातियों को अंग्रेजों ने अपने लिये सबसे बड़ा खतरा माना था. Er. B K Lodhi, pursuing Ph.D. on caste system.
जवाब देंहटाएंमाननीय मुख्य मंत्री महोदय,
जवाब देंहटाएंराजस्थान सरकार जयपुर।
विषय :- राजस्थान राज्य की मोगिया MOGIA जाति को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करवाने के लिए।
मान्यवर महोदय जी,
उपर्युक्त विषय में सविनय निवेदन है कि भारत सरकार द्वारा संविधान संशोधन अधिनियम विधेयक 1976 के अन्तर्गत मोगिया MOGIA जाति को अनुसूचित जनजाति की अनसुची में शामिल किया गया है।जिसका लाभ मध्यप्रदेश छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में बसने वाले हमारे मोगिया जाति के समुदाय को मिल रहा है। मोगिया जाति का समुदाय मध्य प्रदेश में अधिक निवास करता है। हमारा भोजन व्यवहार और बेटी व्यवहार परम्परा गत रीति रिवाज से मध्य प्रदेश की मोगिया जाति के साथ आज भी होता है। हमारा आपस में खून का रिश्ता है। हमारा सम्बन्ध एक पिता की दो सन्तान जैसा है। वैसे तो हमारा समाज सम्पूर्ण राजस्थान में निवास करता है। मोगिया समाज मध्य प्रदेश की सीमा से लगे उदयपुर मण्डल के सभी जिलो में लगभग 500 गांवों निवास करता है जिसकी आबादी करीब 50000 के आस पास है । आजादी के बाद राज्यों का पुनर्गठन किया गया था। मध्यप्रदेश और राजस्थान के बन्टवारे साथ साथ हमारी जाति का भी विभाजन कर दिया गया। भारत सरकार और राजस्थान सरकार द्वारा राजस्थान में निवास करने वाली हमारी मोगिया के साथ आरक्षण को लेकर सौतेला व्यवहार किया गया है। राजस्थान में हमारी जाति को ओबीसी वर्ग की अनुसूची में क्रमांक 54 पर मोगिया /मोग्या mogia/mogya शामिल किया गया है। जबकि अन्य पड़ोसी प्रान्त मध्य प्रदेश छत्तीसगढ़ में क्रमांक 16और महाराष्ट्र में क्रमांक 18 पर अनुसूचित जनजाति की सूची में रखा गया है। हमारा समाज जन्मजात अपराधी प्रवर्तियो की जाति की श्रेणी में आता है। राजस्थान में सर्वे कर्ताओ श्री मान् रेन्के कमीशन द्वारा तैयार की गई मसौदा सूची 2008 के अनुसार और राजस्थान सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को भेजी गई सूची 2016 के अनुसार मोगिया MOGIA जाति को राजस्थान की Criminal Tribes की सूची में क्रमांक 8 पर सम्मिलित किया गया है। और भारत सरकार द्वारा भी मोगिया MOGIA जाति को राजस्थान राज्य की Denotified Tribes (विमुक्त जनजाति) की सूची में क्रमांक 05 पर दर्ज किया गया है। और Nomadic Tribes की सूची में क्रमांक 29 पर Mogia मोगिया /Mogya मोग्या दर्ज किया गया है। फिर भी राजस्थान सरकार द्वारा इसको उपेक्षा की नजर से देखा गया है। सदियों तक हमारी मोगिया जाति पर जरायमपेशा कानून लगा हुआ था। आजादी के बाद भी 1952 तक हमारी जाति इस कानून के बन्धन में रही। हमारी जाति को अत्यन्त गरीब और अशिक्षित होने के बावजूद भी अनुसूचित जनजाति के अन्तर्गत आरक्षण का लाभ नहीं दिया गया है। हमारे समाज के विध्यार्थियोँ के साथ अन्याय किया गया है। हमारी जाति का एक भी सदस्य सरकारी नौकरी में नहीं है। हमारा समाज अशिक्षा के गहरे अन्धकार में डूबा हुआ है। राजस्थान सरकार द्वारा संविधान में प्रदत आरक्षण से वंचित किये जाने के कारण हमारी जाति आर्थिक सामाजिक और शैक्षिक विकास के दौर में 43 साल पीछे खिसक गई है। रूढ़िवाद और अन्धविश्वास आज भी मौजूद है। समाज में कई प्रकार के अपराध और सामाजिक बुराइयाँ पनप रही है। सामाजिक स्तर अन्य सभी जातियो में हमारा समाज सबसे निम्न माना जाता है। अन्य जातियों के साथ हमारा कोई सामाजिक व्यवहार नहीं है। दूसरी जाति के लोग हमारे हाथ का छुआ पानी तक नहीं पीते है। हमारे समाज की राजस्व जमीन अन्य जातियोँ के द्वारा सस्ते दामो में खरीदने से हमारा समाज और भी गरीबी हो गया है। संसाधनों की कमी के कारण हमारे समाज के विध्यार्थियोँ को अपनी पढाई बीच में ही बन्द कर के घर के कार्यो में लग जाते है। और अपराधी प्रवर्तियो की ओर बढ़ जाते हैं।
अतः माननीय मुख्य मंत्री महोदय और सम्बन्धित विभाग सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के माननीय मंत्री महोदय राजस्थान सरकार से सविनय प्रार्थना है कि राजस्थान राज्य में निवास करने वाली मोगिया/मोग्या Mogia/Mogya जाति को राजस्थान की ओबीसी की अनुसूची में से बाहर कर के राजस्थान की अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करवा कर हमारे समाज को न्याय दिलवाने की महती अनुकम्पा प्रदान करावे। सादर धन्यवाद।
दिनाँक :27/01/2019
समस्त प्रार्थी गण
मोगिया/मोग्या समाज छात्र सँघ
बड़ी सादड़ी जिला चित्तौड़गढ़