मंगलवार, 15 फ़रवरी 2011

माया दो जबाब : क्या कोरी और हिन्दू जुलाहे दो पृथक जातियां हैं ?

अंततः ये स्पष्ट होने जा रहा है कि अब हिन्दू जुलाहे अनुसूचित जाति में नहीं गिने जायेंगे | क्योकि उत्तर प्रदेश की अनुसूचित जाति में घोषित कोरी जाति को सरकार हिन्दू जुलाहे का पर्याय न मान कर भिन्न मान रही है | जब कि पिछले कई सालों से कोरी बुनकर समाज अनुसूचित जाति का आरक्षण लेता चला आ रहा है | ऐसे में यकायक कौन से ऐसे ऐतिहासिक और संवैधानिक दस्तावेज़ सामने आ गये जो सारा मुआमला उलटाया जा रहा है | हिन्दू जुलाहों को पिछड़ी जाति में डाल कर सरकार क्या साबित करना चाहती है ? एक समाज के विकास के रास्ते बंद करके दूसरे चहेते सजातीय समाज के लिए मैदान साफ़ करके, सामाजिक सहिष्णुता और दलित भाईचारे के नाम पर धोखा दे कर,  गरीब और सदियों से उपेक्षित रहे बुनकर समाज को अपने इशारों पर नाचने वाले शोध संस्थान की मनगढ़ंत व हास्यास्पद  रिपोर्टों के आधार पर अब एकाएक अनुसूचित जाति के आरक्षण से वंचित कर देना न केवल गैर कानूनी है बल्कि तानाशाही की पराकाष्टा भी है |

आदरणीया बहन जी जानती हैं कि प्रदेश कि अनुसूचित जाति सूची में परिवर्धन , अपमार्जन व संशोधन की प्रक्रिया बेहद जटिल व उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर का विषय है | इसलिए उन्होंने कोरी जाति का पर्याय हिन्दू जुलाहे को पिछड़ी जाति घोषित करने का फैसला किया है | अब सवाल ये है कि अगर हिन्दू जुलाहे पिछड़े वर्ग के माने जायेंगे तो कोरी किसे कहा जायेगा ? और किन  लोगों को इसका लाभ लेने दिया जाएगा ? कोरी को तो उ० प्र० सरकार सूची से हटा नहीं सकती , वो केंद्र सरकार का क्षेत्राधिकार है | इसलिए जानबूझ कर भ्रम पैदा करने व आरक्षण में बाधा डालने के उद्देश्य से  बुनकर समाज का उत्पीडन किया जा रहा है | जो बेहद शर्मनाक है एवं सामाजिक न्याय की दुहाई देने वाली सरकार के दोगले चरित्र की ज़मानत देता है |

यहाँ एक तथ्य और ध्यान देने लायक है कि राज्य सरकार अनुसूचित जाति की तरह पिछड़ी जाति की सूची में भी संशोधन नहीं कर सकती | इस सम्बन्ध में उ०प्र० हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ का बेहद सख्त आदेश भी पिछले साल आया था कि राज्य सरकार पिछड़ी जातियों की संख्या बढाकर वोट बैंक की राजनीति कर रही है और अपने अधिकार क्षेत्र का अतिक्रमण  कर रही है |  ये तथ्य समझ से परे है कि अनुसूचित जाति में कोई नई जाति शामिल करने की पहल बसपा क्यों  नहीं करती ? जब मछुआ समुदाय को दलित दर्ज़ा देने की बारी आई थी तो विरोध की कमान स्वयं मायावती जी ने संभाल ली थी |
क्या कोरी और हिन्दू जुलाहे दो पृथक जातियां हैं ?
अपनी पुस्तक ''The Tribes & Castes of Northern Western United Provinces & Oudh  '' , Vol 3-4 (1896) में सुप्रसिद्ध मानव शास्त्री  W.C. Crooke ने स्पष्ट उल्लिखित किया है कि " Kori is a Hindu Weaver . " 
 इस प्रकार कोरी हिन्दू जुलाहा है | जिसे सम्पूर्ण राज्य में कोरी, जुलाहा , हिन्दू जुलाहा, चंवर जुलाहा , कबीर पंथी जुलाहा , बुनकर कोली जुलाहा के उच्चारणों के साथ पुकारा जाता है |
इस उद्धरण के पश्चात कोई जांच, कोई टिप्पणी , कोई बहस मुबाहिसा और कोई शासनादेश  मायने नहीं रखता |
बहुजन समाज पार्टी के गठन में शेष दलितों के साथ साथ  कोरी भाइयों का भी अथक प्रयास रहा है  | इतना ही नहीं महात्मा गाँधी जी के साथ चाहे आज़ादी की लड़ाई हो या  स्व० कांसीराम जी के साथ सामाजिक न्याय की लड़ाई , कोरी जुलाहा बुनकर समाज ने अपना खासा योग दान दिया है और मजबूती के साथ अपना वोट बैंक थामे रख कर उसका फायदा बसपा को पिछले कई चुनावों में दिया है |
लेकिन अब लगता है कि शायद बहन जी को इनकी ज़रुरत नहीं रह गयी है ............