...एक तो होना ही पड़ेगा !

एक
बार मैं बनारस गया तो गंगा में जल विहार का आनंद लेने के लिए नौका में जा
बैठा | नाव खेने वालों से जब मैंने उनकी जाति पूछी तो एक ही परिवार के पांच
लोग अपनी अलग अलग जाति बता रहे थे | किसी ने कहा वे मल्लाह है, किसी ने
निषाद तो किसी ने केवट , कोई साहनी, कोई मांझी बता रहा था | वे सब इस पर भी
सहमत थे कि वे सुरहिया और चाईं भी हैं | उन्हें अपने आपको बिन्द बेलदार से
अलग नहीं मानने में भी कोई संकोच नहीं था | कश्यप ,कहार, धींवर भी उन्ही
में से होने बताये | जाहिर है इस गंभीर विषय को कोई समाजशास्त्री या जानकार
ही समझ सकता है , हाईस्कूल पास लेखपाल पटवारी नहीं | अतः जातिगत भ्रम होना
लाजमी है |
आज हमारे लोग जाति के कई नाम की जिस समस्या से
जूझ रहे हैं , उस प्रकार की समस्या चमार जाति के सामने 1955 -56 में ही आ
गई थी | तब चमार जाति 51 उपजातियों में बंटी थी और लोग अपने आपको भिन्न
भिन्न नामों से बताते थे | किन्तु शर्मवश चमार नहीं कहते थे | जबकि
नियमानुसार अनुसूचित जाति का लाभ केवल चमार वर्ग को था क्योकि SC सूची में
चमार ही वर्णित था | फलस्वरूप दोहरे ,कुरील, जैसवार ,सहित 51 उपजातियों के
लोग आरक्षण से वंचित होने लगे क्योकि उनकी पहचान चमार नाम से न हो कर अन्य
नामों से थी |
जब मामला गंभीर होगया और इनके जाति प्रमाणपत्र
तक बनना बंद हो गए तो इन्होने सचिवालय ,जनगणना कार्यालय, गृहमंत्रालय और
SC /ST आयोग में बैठे अपने आकाओं और भाई बिरादरों से समपर्क साधा | खटाखट
आदेश जारी होते गए और बाकायदा गृहमंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर स्पस्ट कर
दिया कि चमार का तात्पर्य उसकी सभी उपजातियों से है | इस प्रकार पिप्पल,
निम् , कर्दम, जैसल, जैसवार, जाटव, जटिया, गहरवार, अहिरवार, कुरील, रैदास,
दोहर, दोहरे, डोहरा, डोहरे, चमकटा , भगत चमकटा , रोनिगर, रैगड़, रैगर
,रैह्गर,रायगर, भाम्बी , खालकाढ, चर्मकार, रैया, धोंसियार, डांबरे ,
उत्तराहा, दक्खिनाहा, नोना चमार , चमरमंगता, चमड़िया, चामगर, रोहित,
रोहिदास, रविदास ,रुईदास , रविदासी, रामदसिया, रविदसिया, सतनामी , मोची ,
मूची, ऋषि, भैरवा, बैरवा, ढेड़, समगर , सागर, सगर, चंवर ,चम्बर, चुम्बर ,
धुसिया और झुसिया उपजातियां चमार जाति के अंतर्गत परिभाषित हो गयी | किन्तु
इन लोगों ने इस संकट से हमेशा के लिए निबटने के लिए एक समझदारी का काम
किया .......अपनी पहचान एक ही नाम से घोषित करने का निर्णय लिया | वो नाम
चमार है | आज चमार खुल के कहता है कि मैं चमार हूँ |
अब
वक़्त आ गया है कि हमें भी एक नेता , एक नीति, एक नियत, एक नाम और एक
प्लेटफार्म पर आकर अखिल भारतीय स्तर पर एक जातीय स्टेटस के लिए संघर्ष करना
चाहिए |
हमे गर्व है कि हम चमार है...............
जवाब देंहटाएंNames of sub-castes are basically parts of main caste. People are still mired in identity of sub-castes which must forgo for all practical purposes. Unity only will further our progress. regards.
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