शुक्रवार, 21 सितंबर 2012

...एक तो होना ही पड़ेगा !

           एक बार मैं बनारस गया तो गंगा में जल विहार का आनंद लेने के लिए नौका में जा बैठा | नाव खेने वालों से जब मैंने उनकी जाति पूछी तो एक ही परिवार के पांच लोग अपनी अलग अलग जाति बता रहे थे | किसी ने कहा वे मल्लाह है, किसी ने निषाद तो किसी ने केवट , कोई साहनी, कोई मांझी बता रहा था | वे सब इस पर भी सहमत थे कि वे सुरहिया और चाईं भी हैं | उन्हें अपने आपको बिन्द बेलदार से अलग नहीं मानने में भी कोई संकोच नहीं था | कश्यप ,कहार, धींवर भी उन्ही में से होने बताये | जाहिर है इस गंभीर विषय को कोई समाजशास्त्री या जानकार ही समझ सकता है , हाईस्कूल पास लेखपाल पटवारी नहीं | अतः जातिगत भ्रम होना लाजमी है |
           आज हमारे लोग जाति के कई नाम की जिस समस्या से जूझ रहे हैं , उस प्रकार की समस्या चमार जाति के सामने 1955 -56 में ही आ गई थी | तब चमार जाति 51 उपजातियों में बंटी थी और लोग अपने आपको भिन्न भिन्न नामों से बताते थे | किन्तु शर्मवश चमार नहीं कहते थे | जबकि नियमानुसार अनुसूचित जाति का लाभ केवल चमार वर्ग को था क्योकि SC सूची में चमार ही वर्णित था | फलस्वरूप दोहरे ,कुरील, जैसवार ,सहित 51 उपजातियों के लोग आरक्षण से वंचित होने लगे क्योकि उनकी पहचान चमार नाम से न हो कर अन्य नामों से थी |
             जब मामला गंभीर होगया और इनके जाति प्रमाणपत्र तक बनना बंद हो गए तो इन्होने सचिवालय ,जनगणना कार्यालय, गृहमंत्रालय और SC /ST आयोग में बैठे अपने आकाओं और भाई बिरादरों से समपर्क साधा | खटाखट आदेश जारी होते गए और बाकायदा गृहमंत्रालय ने एक सर्कुलर जारी कर स्पस्ट कर दिया कि चमार का तात्पर्य उसकी सभी उपजातियों से है | इस प्रकार पिप्पल, निम् , कर्दम, जैसल, जैसवार, जाटव, जटिया, गहरवार, अहिरवार, कुरील, रैदास, दोहर, दोहरे, डोहरा, डोहरे, चमकटा , भगत चमकटा , रोनिगर, रैगड़, रैगर ,रैह्गर,रायगर, भाम्बी , खालकाढ, चर्मकार, रैया, धोंसियार, डांबरे , उत्तराहा, दक्खिनाहा, नोना चमार , चमरमंगता, चमड़िया, चामगर, रोहित, रोहिदास, रविदास ,रुईदास , रविदासी, रामदसिया, रविदसिया, सतनामी , मोची , मूची, ऋषि, भैरवा, बैरवा, ढेड़, समगर , सागर, सगर, चंवर ,चम्बर, चुम्बर , धुसिया और झुसिया उपजातियां चमार जाति के अंतर्गत परिभाषित हो गयी | किन्तु इन लोगों ने इस संकट से हमेशा के लिए निबटने के लिए एक समझदारी का काम किया .......अपनी पहचान एक ही नाम से घोषित करने का निर्णय लिया | वो नाम चमार है | आज चमार खुल के कहता है कि मैं चमार हूँ |
             अब वक़्त आ गया है कि हमें भी एक नेता , एक नीति, एक नियत, एक नाम और एक प्लेटफार्म पर आकर अखिल भारतीय स्तर पर एक जातीय स्टेटस के लिए संघर्ष करना चाहिए |

2 टिप्‍पणियां:

  1. हमे गर्व है कि हम चमार है...............

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  2. Names of sub-castes are basically parts of main caste. People are still mired in identity of sub-castes which must forgo for all practical purposes. Unity only will further our progress. regards.

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