हमें सामाजिक आन्दोलन के सहारे राजनैतिक आन्दोलन तैयार करना होगा | बिना
सामाजिक आन्दोलन के राजनैतिक आन्दोलन निष्प्रभावी ही रहेगा | चमारों ने
पहले सामाजिक आन्दोलन चलाया और शिक्षा ग्रहण करके शासन प्रशासन में जम गए |
शासन प्रशासन में ऊपर तक जमे चमार राजनैतिक आन्दोलन चलाने वालों की रीढ़
बन गए | और सत्ता हासिल कर स्वयं को रूलिंग कास्ट आफ इंडिया तक कहने लगे |
जब इसके ठीक उलट हमारे मछुआ भाई बिना पढ़े ही नेतागर्दी करने लगे , और
राजनैतिक आन्दोलन चलाकर कुर्सी के दिवास्वप्न देखने लगे | जबकि समाज में
शिक्षा का प्रतिशत 2 % रहगया | अब बिना जागरूक हुए समाज तो बहकना ही था सो
खेमों और पार्टियों में बँटता चला गया और अपनी ताक़त को क्षीण करता चला गया
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आवश्यकता इस बात की है के पहले हम अपने सामाजिक अधिकार प्राप्त करें
तब राजसत्ता की ओर उन्मुख हों अन्यथा अपने और दुसरे नेताओं के हाथों इस्तेमाल होते रहेंगे |
Tu chutiya he bsdk jankari sahi rakh
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