समाजवादी पार्टी मायावती की तरह मछुआ आरक्षण की प्रबल विरोधी नहीं है |
मायावती ने मछुआ आरक्षण रद्द करके और मूल प्रस्ताव केंद्र से आनन् फानन में
वापस मँगा कर निरस्त करके केवल चमार जाति का हित साधने का का कार्य किया
था । मायावती को डर था कि मछुआरे SC में आ गए तो आधा चमार समूह घर बैठ
जायेगा ,बेरोजगार हो जायेगा | इसलिए उसने अम्बेडकर महासभा और अपने पालतू निषाद
नेताओं को विरोध के लिए आगे कर दिया | ऐसा समाजवादी पार्टी ने अब तक तो
नहीं किया है। यह भी स्पष्ट है कि मछुआ समुदाय के आरक्षण से सपा के मूल वोट बैंक यादव और
मुसलमान का कोई नुक्सान नहीं होगा | इसलिए मछुआ आरक्षण देने में
सपा की नियत में कोई खोट नहीं नज़र नहीं आता |
समाजवादी पार्टी आरक्षण का विरोध नहीं कर रही है बल्कि प्रमोशन में दिए जाने वाले आरक्षण का विरोध मुद्दों के आधार पर कर रही है | जिसके राजनैतिक नफे नुक्सान की भी वही जिम्मेदार है | जाहिर है सपा की समर्थक पिछड़ी जाति के लोगों को प्रमोशन में कोई आरक्षण नहीं मिलता सो वह उन लोगों के साथ है | राजनीति में पक्ष और विपक्ष बन जाना स्वाभाविक है |
कांग्रेस निश्चय ही दवाब में है और यदि सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी या गठबंधन के तहत सपा के साथ रहेगी तो उसके प्रस्ताव को टालेगी नहीं , इसका फायदा और नुक्सान भी दोनों दल ही उठाएंगे| आरक्षण की इस लड़ाई में 17 जातियों को जो दल भी धोखा देना चाहेगा ,,,,बहुत बड़ा नुकसान उठाएगा | क्योकि इस लड़ाई में 8 % मछुआ /निषाद समाज, 3 % कुम्हार प्रजापति, और २% राजभर सहित 1 % लोनिया चौहान भी शामिल हैं | इस प्रकार 14 % वोट बैंक को ज्यादा देर धोखा देना आसान नहीं होगा | हम संयमित होकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे ताकि हम कोई इल्जाम न आये |
सपा की उत्तर प्रदेश में सरकार है | हमारे पास उसपर फिलहाल भरोसा करने के अलावा और कोई चारा भी नहीं | निसंदेह वह इलेक्शन तक मछुआरों के धैर्य की परीक्षा भी नहीं लेना चाहेगी सो यह मुद्दा 2014 के चुनाव से पहले तय होना निश्चित हैं | अन्यथा जीवन का अंतिम लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे मुलायम सिंह और उनके सामने प्रधान मंत्री बनने का आखरी मौका बेकार ही जायेगा ......राजनीति के माहिर खिलाडी मुलायम सिंह इस निर्णायक मोड़ पर 8 % मछुआ/ निषाद समाज सहित 14 % जातियों का एकतरफा वोट नहीं गंवाना चाहेंगे | अतः आवश्यकता उपयुक्त समय के इंतज़ार की और संगठित रहकर अपनी शक्ति को बढ़ाने की है |
समाजवादी पार्टी आरक्षण का विरोध नहीं कर रही है बल्कि प्रमोशन में दिए जाने वाले आरक्षण का विरोध मुद्दों के आधार पर कर रही है | जिसके राजनैतिक नफे नुक्सान की भी वही जिम्मेदार है | जाहिर है सपा की समर्थक पिछड़ी जाति के लोगों को प्रमोशन में कोई आरक्षण नहीं मिलता सो वह उन लोगों के साथ है | राजनीति में पक्ष और विपक्ष बन जाना स्वाभाविक है |
कांग्रेस निश्चय ही दवाब में है और यदि सपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ेगी या गठबंधन के तहत सपा के साथ रहेगी तो उसके प्रस्ताव को टालेगी नहीं , इसका फायदा और नुक्सान भी दोनों दल ही उठाएंगे| आरक्षण की इस लड़ाई में 17 जातियों को जो दल भी धोखा देना चाहेगा ,,,,बहुत बड़ा नुकसान उठाएगा | क्योकि इस लड़ाई में 8 % मछुआ /निषाद समाज, 3 % कुम्हार प्रजापति, और २% राजभर सहित 1 % लोनिया चौहान भी शामिल हैं | इस प्रकार 14 % वोट बैंक को ज्यादा देर धोखा देना आसान नहीं होगा | हम संयमित होकर अपनी लड़ाई लड़ेंगे ताकि हम कोई इल्जाम न आये |
सपा की उत्तर प्रदेश में सरकार है | हमारे पास उसपर फिलहाल भरोसा करने के अलावा और कोई चारा भी नहीं | निसंदेह वह इलेक्शन तक मछुआरों के धैर्य की परीक्षा भी नहीं लेना चाहेगी सो यह मुद्दा 2014 के चुनाव से पहले तय होना निश्चित हैं | अन्यथा जीवन का अंतिम लोकसभा चुनाव लड़ने जा रहे मुलायम सिंह और उनके सामने प्रधान मंत्री बनने का आखरी मौका बेकार ही जायेगा ......राजनीति के माहिर खिलाडी मुलायम सिंह इस निर्णायक मोड़ पर 8 % मछुआ/ निषाद समाज सहित 14 % जातियों का एकतरफा वोट नहीं गंवाना चाहेंगे | अतः आवश्यकता उपयुक्त समय के इंतज़ार की और संगठित रहकर अपनी शक्ति को बढ़ाने की है |