सोमवार, 13 दिसंबर 2010

" अम्बेडकर - शोषितों और दलितों के मसीहा "

" इस दुनिया में आत्मसम्मान से जीना सीखो | दुनिया में कुछ करके दिखाने के लिए आपको अपने लक्ष्य निर्धारित करने होंगे | संघर्ष करने वाला अकेला ही चल पड़ता है | हो सकता है कि इस बीमार व्यवस्था को सुधारने वाले का कहीं जिक्र भी न हो ,लेकिन अब लाचारी और बेबसी के युग का अंत हो गया है और नया वक़्त शुरू हुआ है | आपके राजनीति में आने और कानून बनाने की ताक़त हासिल कर लेने के बाद कुछ भी असंभव नहीं रहेगा |"

डा० भीमराव रामजी अम्बेडकर , भारतीय संविधान की प्रारूप समिति के अध्यक्ष चुने गए और आपका सबसे बड़ा योगदान मौलिक अधिकारों के साथ साथ राज्य को दिए गए नीति निर्देशक सिद्धांत रहे , जिसकी वज़ह से हमें स्वतन्त्रता, समानता और अस्पर्शता से छुटकारा मिला | आपने सम्पूर्ण जीवन भर भारतीय जातीय व्यवस्था में व्याप्त अस्पर्शता के विरुद्ध संघर्ष किया | भारत में दलित बौद्ध आन्दोलन का श्रेय भी आपको ही जाता है |

14 अप्रैल १८९१ को महाराष्ट्र की अस्पर्श कही जाने वाली "महार" जाति में जन्म लेने वाले डा० भीम राव अम्बेडकर ने , जो कि प्रसिद्द न्यायविद ,  दलितों के सशक्त नेता , बौद्ध नवजागरण के सूत्रधार और भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पी भी थे , जीवन में अनेक बार सामाजिक और आर्थिक कठिनाइयों का सामना किया था | आपको विद्यालय में कोने में बैठने को मजबूर किया जाता था और मास्टर आपकी  पुस्तकें तक नहीं छूते थे | इसी क्रूरता और भेदभाव से लड़ते लड़ते १९०८ में आपने मैट्रिक पास किया |  इसके पश्चात आपने बम्बई यूनिवर्सिटी से राजनैतिक विज्ञानं और अर्थशात्र में स्नातक परीक्षा पास की | १९१३ में आपने इग्लैण्ड और अमेरिका के विश्वविद्ध्यालयों से कानून में परास्नातक के साथ साथ राजनैतिक विज्ञान और अर्थशास्त्र में शोध करते हुए डाक्टरेट की उपाधियाँ भी प्राप्त कीं |

भारत लौट कर आपने पाक्षिक समाचार पत्र "मूक नायक" आरम्भ किया तथा अस्पर्शता के विरुद्ध पूरे भारत में सभाएं कीं | १९१९ में लन्दन में भारतीय स्वतन्त्रता की तैयारी को लेकर आयोजित सम्मलेन में  अंग्रेज सरकार के आमंत्री की हैसियत से आपने दलितों और धार्मिक अल्पसंख्यकों के लिए पृथक निर्वाचन क्षेत्रों की ज़ोरदार वकालत की | शोषित वर्गों के शैक्षिक एवं सामाजिक आर्थिक उत्थान के लिए आपने बहिष्कृत हितकारिणी सभा का गठन किया | आप बम्बई विधान परिषद् के सदस्य रहे और अस्पर्शता के विरुद्ध आपने कई सक्रिय आन्दोलन चलाये | अछूतों के अधिकारों को लेकर आपने महाड के आन्दोलन का भी नेतृत्व किया |

मुख्य राजनैतिक दलों द्वारा जाति प्रथा को महत्त्व दिए जाने से अम्बेडकर प्राय: उनकी आलोचना करते थे | आप अछूतों के पृथक निर्वाचक मंडलों के पक्षधर रहे और इसी कारण महात्मा गांधी से आपका विरोध रहा | गांधी को डर था कि इस विभाजन से आगामी पीढ़ियों के लिए हिन्दू समाज बँट जायेगा | आखिरकार लम्बी ज़द्दोजहद  के बाद २४/९/१९३२ को पूना पैक्ट हुआ |

नासिक के निकट येओला कांफ्रेंस में भाषण देते समय आपने बौद्ध धर्म अपनाने की इच्छा व्यक्त की क्योंकि इसमें जातीय व्यवस्था नहीं होती | आपने बौद्ध धर्म अपना कर पूरे भारत का भ्रमण किया | १९५५ में आपने भारतीय बौद्ध महासभा का गठन किया तथा १९५६ में "बुद्ध और उनका धर्म" पर अपना कार्य पूर्ण किया | एक औपचारिक जन समारोह में आपने ५,००,००० अनुयाईयों के साथ बौद्ध धर्म की दीक्षा ग्रहण की और हिन्दू धर्म व हिन्दू दर्शन को नकारते व त्यागते हुए बौद्ध धर्म की २२ प्रतिज्ञाएं लीं |

१९३६ में आपने स्वतंत्र लेबर पार्टी का गठन किया और मध्य विधान सभा में १५ सीटें जीत लीं | आपने कांग्रेस द्वारा अछूतों को हरिजन कहे जाने पर सख्त ऐतराज़ जताया | आपने अनेक पुस्तकों की रचना की जिनमे प्रमुखत: "जातीय उन्मूलन", "पाकिस्तान पर विचार", "कांग्रेस और गाँधी ने अछूतों के लिए क्या किया ?", "शूद्र कौन हैं ?", और "अछूत - अस्पर्शता के उदगम पर शोध " हैं |

आज़ादी के बाद अम्बेडकर को देश का प्रथम कानून मंत्री और संविधान की प्रारूप समिति का अध्यक्ष बनाया गया | आपने बुद्ध संघीय आत्मा को भारतीय और पाश्चात्य विचारों के साथ समावेशित करते हुए संविधान को मूर्त स्वरुप प्रदान किया | आपने कमजोरों, दबे-कुचलों और विशेषत: महिलाओं के लिए संविधान में ख़ास प्रावधान किये | 

आपने १९५१ में कैबिनेट से हिन्दू कोड बिल के विरोध में इस्तीफ़ा इसलिए दे दिया क्योंकि आप संसद में लिंगीय आधार पर समान विरासत, समान वैवाहिक नियम और समान अर्थव्यवस्था का कानून चाहते थे | बाद में आप राज्य सभा में चुने गए और अपनी मृत्यु ६ दिसंबर १९५६ तक आजीवन सांसद रहे |

दलितों के धर्म युद्ध हेतु आप आने वाली पीढ़ियों के लिए एक परम शक्तिशाली हथियार सौंप कर गए | आरक्षण के प्रावधान का उपयोग करके अनेक दलित शिक्षित हो गए और अपनी आजीविका में सुधार ले आये | आपकी प्रेरणा आज मानवाधिकारों में भी परिलक्षित हो रही है | आज हमें अनेक दलित राजनैतिक दल , दलित प्रकाशक, और दलित कर्मचारी संगठन आपके प्रयासों से ही नज़र आ रहे हैं | इस प्रेरणा को गंभीरतापूर्वक आगे ले जाने की आवश्यकता है | दलित एजेंडा अग्रसर रहे, इसका दायित्व हमें ही उठाना होगा | जातीय व्यवस्था ने भारतीय समाज को आज भी नहीं छोड़ा है | हम आज भी अस्पर्शता का शिकार हो रहे हैं | जब दलित सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त हो जायेंगे, तभी बाबा साहेब डा० अम्बेडकर का सपना पूरा होगा |

बाबा साहेब डा० अम्बेडकर ने कहा था " मेरी अंतिम सलाह यही है कि आप शिक्षित बनो, जागरूक हो, संगठित रहो और अपने आप पर भरोसा रखो | यह युद्ध पूर्ण अर्थों में आध्यात्मिक है, इसमें सांसारिकता व भौतिकता की चाह नहीं होगी | ये मानवीय आस्तित्व के पुनरुद्धार की लड़ाई  है |  "

1 टिप्पणी:

  1. Baba Saheb yadi aaj zinda hote toh bahut dukhi hote kyonki unka sapna 60 saal baad bhi poora nahin ho paya hai. kai dalit jaatiyaan aaj bhi vanchit hain. fayda do chaar ko hi hua hai.

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