शुक्रवार, 31 जनवरी 2014

पीढियां विश्वास में..............

पने हँसकर के टाला है, जिसे उपहास में।
उसको स्वर्णिम सभ्यता, लिखा गया इतिहास में।

आज भी मुद्दा मेरा, एक प्रश्न बनकर है खड़ा
और जवाँ होती रहीं बस, पीढियां विश्वास में।

पूछता है वो, कि जल्दी से कहो चाहते हो क्या ?
कैसे सदियों की व्यथा, कह दूंगा मैं एक श्वास में ?

नर्म रोटी की महक ,दिन भर थकाती है जिसे।
पुण्य लेकर क्या करे, वो एक दिन उपवास में।

मेरे मुद्दे मौन से, थामे सड़क.……पसरे रहे ।
और सदन बस गूँजता था, हास औ परिहास में।

तिश्नगी ने मुझको शर्मिंदा नहीं होने दिया ।
मेरी खुद्दारी जो आड़े, आ गई थी प्यास में ।।

राम की अज़मत, अजुध्या पर कभी निर्भर न थी।
राम का किरदार, निखरा है सुनो ! वनवास में।

लोग ,जिसको प्रेम कहते है, क्षणिक आनंद है।
स्खलन का लक्ष्य सीमित है , यहाँ सहवास में।

कापी राईट @ अरुण कुमार तुरैहा
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शनिवार, 18 जनवरी 2014

आरक्षण तभी सार्थक, जब समाज शिक्षित

 मारे लिये किसी भी प्रकार के आरक्षण की सार्थकता तभी प्रमाणित होगी जब हमारा समाज शिक्षित हो। वास्तव में आरक्षण में भी कम्पटीशन है। चमार पासी कुर्मी और यादव शिक्षा के बूते ही सब जातियों में श्रेष्ठ बने हुए हैं। हम मछुआ समुदाय के लिए SC आरक्षण तो चाहते हैं किन्तु हम अपने बच्चों को शिक्षा अथवा
बेहतर शिक्षा दिलाने के नाम पर पीछे हट जाते है और विषम आर्थिक परिस्थितियों का रोना रोने लगते है। गरीबी शिक्षा में तभी आड़े आएगी जब नियत कमजोर हो।
मेरे स्वर्गवासी दादा जी वेतन भोगी मामूली चपरासी थे किन्तु उन्होंने मेरे पिता जी को 1970 में उच्च शिक्षा के लिए नैनीताल स्थित कुमायूँ विश्वविध्यालय भेजा जहाँ मेरे पिता ने स्नातकोत्तर में न सिर्फ गोल्ड मैडल हासिल किया बल्कि डाक्टरेट की उपाधि भी प्राप्त की और उच्च शिक्षित होकर अपनी गरीबी को मात दी। आज की तारीख में अच्छे अच्छे धन्नासेठ या उच्च अधिकारी भी अपने बच्चे को नैनीताल में शिक्षा दिलाने का साहस नहीं कर  सकते ,चपरासी की तो बात ही छोड़ दीजिये। अतः शिक्षित होने अथवा बच्चों को बेहतर शिक्षा दिलाने के लिए धन से अधिक लगन एवं इच्छाशक्ति की ज्यादा जरूरत है।
दूसरी तरफ विकसित जातियों ने आरक्षण का भरपूर फायदा उठाने के लिए अपना अलग शैक्षिक तंत्र भी विकसित कर लिया है। और अपनी जड़ों को मजबूत करने में जुट गए । जाटों ने अपनी लड़कियों के लिए आर्य कन्या विद्यालय ,तो दलितों ने आंबेडकर छात्रावास का जुगाड़ कर लिया है। इसीप्रकार मीणाओं ने राजस्थान में अपने छात्रों को शिक्षित करने के उद्देश्य से मीन छात्रावास का प्रबंध सामाजिक प्रयासों से किया है। इस प्रकार जिस समाज का बचपन शिक्षित होता गया वह आगे बढ़ता गया।
शिक्षा के इसी आवश्यकता को द्रष्टिगत रखते हुए हमारे साथियों के सामूहिक-सामाजिक प्रयासों से जिला रामपुर में मछुआ समुदाय की निम्न लिखित शिक्षण संस्थाएं समाज के बच्चों को ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षित बनाने के उद्देश्य से चल रही हैं।

1-तुरैहा शिशु निकेतन ,ठिरिया सालेपुर।
2-आदर्श तुरैहा मोंटेसरी पब्लिक स्कूल,सैफनी।
3-विशाल तुरैहा पब्लिक स्कुल तिराहा।
4-तुरैहा अम्बेडकर जू हा स्कुल, तिराहा।
5-ड्रमंड पब्लिक स्कुल मिलक।
6-सन राइज पब्लिक स्कुल ,पटिया।
7-एकता पब्लिक स्कूल , लोहा 

बाबा साहब डॉ अम्बेडकर ने कहा था कि शिक्षा सिंहनी के दूध के समान है जो इसका प्राशन करेगा वह शेर की भांति गर्जना करेगा।