तोमर शब्द की उत्पत्ति

तोमर
शब्द की उत्पत्ति तोमा शब्द से हुयी है जिसका अभिप्राय एक पके हुए कद्दू
से है । जो पकने के बाद पूरी तरह सूख जाता हैं । मछुआरे इसका डंठल तोड़कर
इसके अन्दर का सूखा गूदा निकाल लेते थे और डंठल को उसी जगह वापस रखकर
कोलतार से चिपका देते थे । अब यह तोमा एक बड़ी सी फ़ुटबाल का काम करता और
पानी में उतराता । इस तोमे की सहायता से आसानी से तैरा भी जा सकता था ।
यह तोमा झील में डाल कर मछली शिकार हेतु खींचने वाली जाली की उपरी रस्सी से
बाँधा जाता था ,जो जाल को पानी में डूबने नहीं देता था । इस प्रकार चालाक
मछलियाँ , जो पानी की ऊपरी सतह से एक फिट ऊपर रहकर जाल के डूबने की वजह बच
जाती थीं, इसी तोमे के कारण फंस जाती ।
सीधे और सरल अर्थों में यह
तोमा एक प्रकार का ब्लैडर होता था जिसे मछुआरों ने अपनी आवश्यकतानुसार ईजाद
किया । इस तोमे को धारण करने वाले और इसका प्रयोग करने वाले मछुआरों ने
कालांतर में स्वयं को तोमर लिखना शुरू कर दिया । इसका दोहरा फायदा होता । टाइटिल में जातिगंध सूंघकर पता लगाने वाला ठाकुर साहब या चौधरी जाट समझ कर सलाम ठोकता । समाज के उच्च शिक्षित मछुआ होकर भी मछुआ कहलवाने से बच जाते
वहीँ दूसरी और तोमर एक अस्त्र का नाम भी है , जिसे चलाने में पारंगत
क्षत्रिय राजपूतों ने भी स्वयं को तोमर लिखा ।
लेकिन मछुआ समुदाय के अर्थों
में पहले वाली व्याख्या ही सटीक, स्पष्ट और संश्लेषित हैं ।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें