अपने गाँव का कलुआ आज बहुत खुस है । डिजिटल जो हुई गवा ।
इंटर पास करते ही कलुआ बस लैपटाप की रट लगाए था । एक एक दिन भारी पड़ रहा था , लेकिन कलुआ ने उम्मीद न छोड़ी । कहता था नेताजी ने कहा है तो करके जरूर दिखायेंगे । आखिर वो दिन आ ही गया । कलुआ जैसे ही लैपटाप ले कर बस से उतरा, पूरा गाँव अड्डे पर उमड़ आया । लोगों ने कलुआ और लैपटाप को मालाओं से लाद दिया । हर कोई कलुआ की तारीफ़ करता चलता था । अपना कलुआ बड़ा होनहार है भाई । गाँव की शान है पठ्ठा । पूरे इलाके में यही तो है जो पहला लैपटाप जीत कर लाया है ।
आज सुबह से ही नहाधोकर कलुआ लैपटाप लिए शान से चौराहे पे बैठा है । जब से हाथ आया है , कलुआ तो एक दम पगला गया है । मारे ख़ुशी के रात भर सो न सका । रात भर में दो बार उठ कर लैपटाप चैक भी किया। सही तो रखा है न ।
पूरा मोहल्ला कल से कलुआ के घर पड़ा हैं , गाँव के बुजुर्ग, औरतें और बच्चे घर से आगे जाते ही नहीं , बस एक नजर भर कर देखना चाहते हैं लैपटाप को । कलुआ किरकिट ट्राफी की तरह चमका रहा है लैपटाप को हर आधे घंटे में । गाँव में लाईट नहीं थी न , सो कल ...लैप टाप चल न सका । रात भर भूकन हलवाई की दूकान में चार्ज किये रहा इन्वैटर से । थोडा बैटरी भरते ही गाँव में हल्ला मच गया .... अरे ! लैपटाप चल गया । लैपटाप चलते ही कलुआ के बाप का सीना चौड़ा हो गया । माँ दुआएं मांगती जाती थी कलुआ के लिए । डिस्प्ले पर नेताजी और मुख्यमंत्री जी की तस्वीर उभरते ही तालियाँ बज उठीं । हर कोई तारीफ़ कर रहा था । बुधई काका भी भीड़ में खड़े हैं ....हिसाब लगा रहे है अभी से । अगले साल मेरे भी घर में दो लैपटाप और दो टैबलेट होंगे ।
आज कलुआ के घर ढोलक बजेगी । सुबह से कलुआ की बहने बिरादरी में बुलावा बाँट आई है। पंसारी के यहाँ से 5 किलो बताशे मंगवाए गए हैं बाँटने के लिए ।
इसी बहाने समाजवादी सरकार ने गाँव गाँव खुशियाँ बाँट दी ।
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