शनिवार, 6 जुलाई 2013

आप भी यहाँ से विलुप्त हो जाएँ .....।

 दुनिया के किसी शब्द कोष में मांझी ,मल्लाह और केवट की व्याख्या भिन्न नहीं है और सभी एक दुसरे के पर्यायवाची हैं । लेकिन हमारी सरकारें इन्हें अलग अलग मानती हैं । समाज कल्याण के एक बाबू चुटकुला सुनाते हुआ कहते हैं कि बाबू की मारी हलाल होती है । यानि बाबू जो चाहे कर सकता हैं ...लिख सकता हैं । यह देश और इसके अफसर बाबुओं की सलाह पर चलते हैं .......अफसर अपने विवेक का इस्तेमाल नहीं करते , फंसने से डरते हैं न । बाबूजी कहते हैं ......हमारी मर्जी ...हम जैसी चाहें व्याख्या सचिवालय से निकालें ...जिले के अफसर उसकी पटरी बनाकर रेल दौड़ाते नजर आएंगे । हम Majhi को मजही लिखेंगे ......कोई हमारा क्या उखाड लेगा । हम माँझी और मजही का भेद दुनिया को सिखायेंगे ....कोई हमारा क्या कर लेगा ? हम अंग्रेजी में लिखे MAJHI शब्द का उच्चारण भूलकर भी माझी नहीं करेंगे ...जब भी लिखेंगे मजही लिखेंगे ? हमने परीक्षा पास की है ..कोई ऐसे तो थोड़े बैठ गए हैं इस कुर्सी पर ...संविधान की जनकारी है हमको । दुसरे बाबू पान की पीक थूकते हुए बोले ......केवट और मल्लाह अलग अलग है ....हम प्रमाणित कर सकते हैं । हम कहे कैसे ? तो बतियाने लगे ...केवट गरीब होता है सो अकेला नैया खेता हैं ...यानि उसकी नाव छोटी होती है ....इस प्रकार केवट एक इकाई है अतः मल्लाह से प्रथक हैं । जबकि मल्लाह समूह में काम करते हैं ...मल्लाहों पर बड़ी बड़ी नावें होती है जिसे दस बारह लोग खेते हैं । समूह में रहने के कारण ये लोग चोर उचक्कई भी खूब करते हैं ....नाव खरीदना आसान काम नहीं है ....जाहिर सी बात है मल्लाह पेशा करने वाली मल्लाह एक मालदार कौम हुयी । मांझी को कोई आरक्षण नहीं मिलेगा .......मिलेगा भी तो केवट वाला OBC का .......। मजही के आरक्षण से दूर रहो सालो।
हमने कहा तुम्हारा दिमाग खराब है । वो बोले आप MBBS डाक्टर होते तो आपका तर्क मान लिया जाता ...लेकिन आप सडकछाप हो ..सडक पर जाओ और चिल्लाओ ....।
हमने कहा तुमभी तो मोची हो .....चमार बने बैठे हो ....मोची जाति पिछड़ी जाति में आती है ...चाहे तो लिस्ट देख लो OBC की यूपी वाली । जब पिछड़ी जाति का मोची ...चमार कहलवा कर SC का आरक्षण झटक सकता है तो मल्लाह को मझवार क्यों नहीं माना जा सकता है ? वे बोले मझवार यूपी में नहीं पाए जाते ....हमने कहा तो कहाँ पाए जाते हैं .....? कहते हैं द्रविड़ियन कास्ट थी ....विलुप्त हो गयी ।
आप भी यहाँ से विलुप्त हो जाएँ .....। फिर चार पांच बाबू आस्तीने चढ़ाये ....मरने मारने का जज्बा लिए आ धमके ...मुझे शौचालय में घुस कर जान बचानी पड़ी ।

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