सुन ले दिल्ली !!
सुन ले दिल्ली वक़्त हमारा आज नहीं कल आएगा
आरक्षण अधिकार हमारा , और नहीं टल पायेगा
सीमाए सब टूट रही है , बनी ज्वाल अब चिंगारी
जो अब भी वंचित हैं वो सत्ता के असली अधिकारी
साठ वर्ष से मछुआ केवल तेरी डोली ढोता है
छिले हुए काँधे को लेकर अपने मन में रोता है
टूटी नैय्या थका खिवैया भला किसे छल पायेगा
सुन ले दिल्ली वक़्त हमारा आज नहीं कल आएगा
आरक्षण अधिकार हमारा , और नहीं टल पायेगा
हमने तेरे लिए न जाने कितनी गलियां छानी हैं ।
एक ठन्डे झोके की खातिर तेरी शर्तें मानी हैं ।
देख रहा है आज जमाना सत्ता हमको देगी क्या ?
अब तेरे हाथों की ताक़त सब्र हमारा लेगी क्या ?
टालमटोल रवैया तेरा और नहीं चल पायेगा ।
सुन ले दिल्ली वक़्त हमारा आज नहीं कल आएगा
आरक्षण अधिकार हमारा , और नहीं टल पायेगा
देशभर मे 193 देश भगत अलग -अलग जनजातियाँ जैसे सांसी ,भेदकुट ,छारा ,भांतु भाट ,नट, पाल, गडरिया, ,गदहिला ,,डोम ,बावरिया , जगमजोगी।, बंगाली , बाजीगर बंजारा,महातम ,मल्लाह,मांगगरोड़ी,मदारी वागरी कबुत्रिया ,पारदी भोइए, खेवट,, अहेरिया,बहेलिया ,नायक, सपेला , सिंगीकत,सिकलीगर कुचाबंदगिहार ;आदि आदि जो विमुक्त और घुमंतू जातियां कहलाती है |जब देश में स्वतन्त्रता की पहली लड़ाई सन 1857 में हुई तभी से अंग्रेज सरकार इस बात से बहुत चिन्तित थी की देश में कोंन 2 सी जन जातियां कोन2 से वर्ग है अगर इन जातिओं को अपने शासन तन्त्र का भुगतभोगी नही बनाया तो ये भारत में हमारे पांव जमने नही देंगी क्यों की ये जातियाँ गुरिल्ला युद्ध करती थी औरअंग्रेजो कोछुप कर मारती तथा उनका समान लूटती और जंगलों में छुप जाती थी । अग्रेंजो ने अपनी सोची साजी निति से इन जातिओं पर अपना दमन चक्र चलाया। और सन 1871 में क्रीमिनल ट्राइब एक्ट बनाया गया । इस लिए क्यों न उन्हें न केवल अपराधियों की श्रेणी में रख दिया जाये बल्कि समाज मै भी उनके प्रति संशय और अविश्वास का वातावरण पैदा कर दिया जाये । They shoud be stigmatized .वह दोनों ही उन्होंने किया । असल में ये लोग फ्रीडम फाइटर थे । 1871 से लेकर 31 अगस्त सन 1952 तक 82 साल के लम्बे अरसे से जैरैम्पेशा '' काला कानून '' की मार से अंग्रेजो के जुल्म के शिकार हुए |यह कानून 1884-85 Asiatic Act.1857-58 Mutiny Supression Act. और1919 Rowalatt Act.से भी कठोर था । इस कानून के तहत इन जातिओं को एक गाँव से दुसरे गाँव में जाने की इज्जात नही थी । जिलास्तर पर अपराधिक जातिओं के लिए एक दफ्तर होता था जहाँ से इन जातिओं के लोगोंको एक (पास)मिलाता था इसको लेकर जिस गाँव में जाते थे उस गाँव के मुख्या को बताना पड़ता था की में 2 दिन के लिए आपके गाँव मे आया हूँ जाने पर अपने गाँव के मुखिया को भी बताना पड़ता था की मै आ गया हूँ पुलिस थानों में दिन में 2 बार हाजरी लगती थी इन जातिओं के लोगों को स्पेशल जेलों में कठोर यातनाए जेहलनी पड़ी। फांसी पर चड़े, जमीन और संपति कुर्क, देश निकला, जबान बन्द। कलम बन्द । ,इन लोगों को कोर्ट में जाने की इजाजत नही थी पुलिस कप्तान ने जो फैशला सुनाया व्ही आखिरी फैशला होता था। ना वकील, ना दलील, ना अपील ।1924 में इस कानून को और सख्त किया गया जिसके तहत 12 साल का बच्चा भी इस कानून की मार में आ गया । इन के माथे पर एक गर्म सिक्का लगाया जाता था की पहचान हो सके की क्रिमिनल कास्ट से है । इन को पकड कर काले पानी की (साल्लुर जेल ) में रखा जाता था। बंकरों में बन्द करके फूँका जाता । इतना घोर अन्याय अंग्रेजो ने इन जातिओं पर किया ।1947 में देश आजाद हो गया परन्तु ये अभागे लोग आजाद नही हुए । अपने ही आजाद भारत में भी 5 साल 16 दिन गुलाम रहे |1949-50 में क्रीमिनल ट्राइब एक्ट इन्क्वारी कमेटी ने सरकर को रिपोर्ट दी की देश में ऐसी 193 जातियां है जो आज भी गुलाम है और 31 अगस्त सन 1952 को संसद में बिल पास हुआ। उस दिन इन जातिओं को आजादी मिली । उस दिन इन जातिओं को विमुक्त जाती (Denotifide Tribes ) की संज्ञा दी गई | 82 साल के लम्बे अरसे से गुलाम होने के कारण ये जातियां शैक्षणिक सामाजिक ,आर्थिक, राजनीतिक, और धार्मिक ,रूप से पिछड़ गई | दुनिया की तरक्की की दोड़ मे आज भी दूसरी जातियो से 64 साल पीछे है | जिनकी आबादी 15 करोड़ से भी अधिक है |और 150 MP बनाने की महारत रखते है लेकिन पुरे देश मे एक भी M.L. A और M. P नही है आज भी लोग अशिक्षत , बेरोजगार ,बेघर , बेपर , बेजार ,बे-इजत और राजनीती से कोशो दूर है |लोग आज भी खुले आसमान ,पुलों के नीचे ,सीवरेज के पाइपो, तरपालो में अपना जीवन व्यतीत करते है।
जवाब देंहटाएंइस समाज के उथान के लिए सरकार ने 2006 में एक आयोग बनाया था | जिसका नाम '' डी.अन .टी '' आयोग था जिसके चेयरमेन बIलकृष्ण रेंके थे | जिसे रेंके आयोग भी कहा जाता है| रेंके कमीशन की रिपोर्ट जो 2008 में सरकार को भेजी है | परन्तु 4 साल बिताने पर भी कोई करवाई नही हुई | उसे तुरंत लागु करवाया जाये |
आयोग द्वरा की गई मांगे ;- 1. शिक्षा और नोकरी में अलग से 10 % आरक्षण हो |
2. अलग बजट प्रोविजन हो |
3. विमुक्त घुमंतू जातिओं का अलग से मंत्रालय हो |
4.विमुक्त घुमन्तु जातियों का स्थाई आयोग बनाया जाये |
5.विमुक्त जातिओं के बोर्डिंग स्कूल खोले जाए ।रहने के लिए जमीन तथा मकान बना कर दिए जाये ।