भारत के द्वितीय प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री जी के बारे में एक कथा का जिक्र लोग अक्सर करते हैं । कहा जाता है शास्त्री जी अत्यंत निर्धन थे लेकिन विषम परिस्थितियों में भी अपनी पढ़ाई जारी रखे हुए थे । वे रोजाना नदी पार कर स्कूल जाते , एक बार उनके पास उनके पास मल्लाहों को देने के लिए पैसे नहीं थे तो उन्होंने तैर कर नदी पार की । इतने स्वाभिमानी थे लाल बहादुर शास्त्री जी !
………ये कथा अधूरी है। …इसके बाद की कथा का जिक्र इतिहास में जान बूझकर नहीं किया गया । ये सत्य है कि शास्त्री जी का बचपन अत्यंत विषम परिस्थितियों में बीता और विपरीत आर्थिक हालात के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी । जहाँ तक तैर कर नदी पार करने का प्रसंग है, इसमें सच्चाई है कि वे रोजाना नदी पार कर स्कूल जाते , एक बार उनके पास मल्लाह को देने के लिए पैसे नहीं थे तो वे अपने बस्ते को सर पर बाँध कर गंगा में उतर गए। …मुगलसराय गंगाघाट के मल्लाहों को जब बालक के हौसले की जानकारी हुयी तो उन्होंने कहलवा दिया कि इस बालक (लाल बहादुर शास्त्री ) से ही नहीं बल्कि विद्यालय आने जाने वाले किसी भी बालक से मल्लाह उतराई नहीं वसूलेंगे । मल्लाहों के आपसी निर्णय का तेजी से पालन हुआ और मुगलसराय ही नहीं आसपास के सभी घाटों पर विद्यार्थियों की उतराई मुआफ़ कर दी गयी । लेकिन मल्लाहों के इस निर्णय को इतिहास में कहीं मान सम्मान नहीं मिला और गुमनाम नायकों की भाति वे इतिहास में बिसरा दिए गए ।
………ये कथा अधूरी है। …इसके बाद की कथा का जिक्र इतिहास में जान बूझकर नहीं किया गया । ये सत्य है कि शास्त्री जी का बचपन अत्यंत विषम परिस्थितियों में बीता और विपरीत आर्थिक हालात के बावजूद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी । जहाँ तक तैर कर नदी पार करने का प्रसंग है, इसमें सच्चाई है कि वे रोजाना नदी पार कर स्कूल जाते , एक बार उनके पास मल्लाह को देने के लिए पैसे नहीं थे तो वे अपने बस्ते को सर पर बाँध कर गंगा में उतर गए। …मुगलसराय गंगाघाट के मल्लाहों को जब बालक के हौसले की जानकारी हुयी तो उन्होंने कहलवा दिया कि इस बालक (लाल बहादुर शास्त्री ) से ही नहीं बल्कि विद्यालय आने जाने वाले किसी भी बालक से मल्लाह उतराई नहीं वसूलेंगे । मल्लाहों के आपसी निर्णय का तेजी से पालन हुआ और मुगलसराय ही नहीं आसपास के सभी घाटों पर विद्यार्थियों की उतराई मुआफ़ कर दी गयी । लेकिन मल्लाहों के इस निर्णय को इतिहास में कहीं मान सम्मान नहीं मिला और गुमनाम नायकों की भाति वे इतिहास में बिसरा दिए गए ।