शुक्रवार, 16 अगस्त 2013

दामाद बाबू !

का बे ! नासपीटो …….सब मिल गरियाए रहे हो दामाद बाबू को । बिलकुल सरम नाहीं , सब बिल्लात पगलाए गए हो……. सब भाजपाई झुठबे बोल रहा है और सब दौड़ाये लिए जा रहे दामाद बाबू को ! बख्शो बे । भारतीय संस्कृति में दामाद का मान सम्मान होता है भाई । पैर पूजे जाते हैं इनके । मुरादाबादी लोटा बेचने वाले दामाद साहब को कुछ पता भी नहीं है और लोग हैं कि बातें बना रहे है । दामाद बाबू घोटाला कैसे कर लेंगे ……सुना है वे तो कोई काम ही नहीं करते राहुल बाबा की तरह । अब जो आदमी कोई काम ही नहीं करता वो कमीशन कैसे खा जायेगा ?  रही बात जमीन की ……. तो सस्ता खरीदने या महंगा बेचने पर कोनऊ पाबंदी है का । लोकतंत्र है भाई देश में …… अजादी है सबको व्यापार करने की । गलत बात । दामाद जी का कुछ तो लिहाजा करो भजपईयो !
वास्तव में भारतीय संस्कृति में दामाद चाहे कितना ही निठल्ला क्यों न हो, पूजनीय होता है | सोनिया जी को लोग भले विदेशी कहें लेकिन उन्हें भारतीयों की इस परंपरा का गहराई से ज्ञान और भान है कि दामाद को कैसे सर आँखों पर बिठाया जाता है | जय हो!!!

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